Kahani – Bharat ke Raja

भारत के ताकतवर हिंदू राजाओं की यशकीर्ति . निश्चित रूप से भारतीय इतिहास ऐसे महान हिन्दू शासकों से भरा पड़ा है, जिनकी वीरता और प्रजवत्सालता की कहीं और कोई तुलना नहीं हो सकती. ऐसे महान व्यक्तित्वों ने चारों दिशाओं में विजय प्राप्त की और अपनी बुद्धि के बल पर चंहुओर अपना प्रभाव स्थापित किया. ये राजा देश, धर्म, संस्कृति तथा स्वतंत्रता की रक्षा हेतु जीवनभर जूझते रहे, लेकिन अपने घुटने नहीं टेकने दिए. इन राजाओं ने अपने पराक्रम से देश का मान बढ़ाया. तो आइये बात करते हैं ऐसे ही कुछ नामों की:

समुद्रगुप्त

समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है. अपने पुत्र विक्रमादित्य के साथ मिलकर उन्होंने भारत के स्वर्ण युग की शुरुआत की. प्रथम आर्यावर्त के युद्ध में उन्होंने तीन राजाओं को हराकर अपने विजय अभियान की शुरुआत की. इसके बाद दक्षिण के कई राजाओं को हराकर उन्होंने अपने अधीन कर लिया.

समुद्रगुप्त के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कई विदेशी शक्तियों को भी पराजित कर अपनी शक्ति का लोहा मनवाया. समुद्र गुप्त की विजय-गाथा इतिहासकारों में ‘प्रयाग प्रशस्ति’ के नाम से जानी जाती है.

पराक्रम से अलग हटकर बात करें तो वह वीणा बजाने में भी कुशल थे. उन्होंने ही मुद्रा का चलन शुरू किया और स्वर्ण मुद्राएं बनवायीं. उनके राज्य में भारत का सांस्कृतिक उत्थान हुआ.

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य गुप्तवंश के सबसे बलशाली राजा कहे जाते हैं. इन्होंने अपनी आक्रामक विस्तार नीति से कई सफलताएं प्राप्त की. मालवा, काठियावाड़, गुजरात और उज्जयिनी को अपने साम्राज्य में मिलाकर इन्होंने अपने राज्य का विस्तार किया था. चन्द्रगुप्त के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत उदारवादी शासक थे. इनके समय में भारत आए चीनी यात्री फ़ाह्यान ने भी इस बारे में खूब लिखा.

चंद्रगुप्त के न्यायपूर्ण शासन के चलते गुप्त वंश के इस समय को भारत का स्वर्णिम युग भी कहा गया. महान कवि कालिदास भी इस समय में हुए.

बताते चलें कि दिल्ली में क़ुतुब मीनार के पास बना हुआ लौह स्तम्भ उनके ही कार्यकाल का माना जाता है. इसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है. इस स्तम्भ को जंगरोधी माना जाता है, जो शोध का विषय भी है.

चन्द्रगुप्त मौर्य

मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त को भारत की प्रथम पंक्ति के अहम राजाओं में गिना जाता है. महज 20 की उम्र में उन्होंने युद्ध जीतने शुरू कर दिए थे. एलेक्जेंडर ने जब भारत पर आक्रमण किया था, तब चंद्रगुप्त ने उनका मजबूती से विरोध किया था. गौरतलब हो कि चंद्रगुप्त को बनाने में उनके गुरु चाणक्य का महत्वपूर्ण योगदान था.

चंद्रगुप्त को चाणक्य ने पहली बार तक्षशिला में देखा था. वह चन्द्रगुप्त की प्रतिभा को देखकर प्रभावित हुए और उन्होंने चन्द्रगुप्त को उत्तम शिक्षा दी.

बाद में चन्द्रगुप्त ने विलासी नन्द वंश का नाश करके अपना राज्य शुरू किया. उन्होंने मगध पर भी कब्ज़ा कर लिया. साथ ही एलेग्जेंडर के सेनापति सेलुकास को हराकर इतिहास रच दिया.

कृष्णदेव राय

कृष्णदेव राय को उस समय के सबसे ताकतवर हिन्दू राजाओं में माना जाता है. उनका ही प्रभाव था कि बाबर उनके राज्य पर आक्रमण नहीं कर पाया था. उन्होंने मुग़ल शासन के बढ़ते कदमों को अपने राज्य की ओर कभी बढ़ने नहीं दिया.

कृष्णदेव राय तुलुव वंश के तीसरे शासक थे. उनके पराक्रम को इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने उड़ीसा के गजपति शासक प्रतापरुद्र देव से कम से कम चार बार युद्ध किया और उसे हर बार पराजित किया.

बाबर ने भी अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ में कृष्णदेव राय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया है. एक वीर योद्धा होने के साथ-साथ वह एक कवि भी थे. कृष्णदेव राय धार्मिक प्रवृत्ति के भी थे. उन्होंने दक्षिण में कई सारे मंदिरों का निर्माण कराया.

कनिष्क

कनिष्क को कुषाणों में सबसे शक्तिशाली सम्राट माना जाता है. कनिष्क का साम्राज्य बहुत विस्तृत था. इसकी उत्तरी सीमा चीन के साथ छूती थी. वह पाटलिपुत्र को भी जीतने में कामयाब रहे थे. उल्लेखनीय है कि कनिष्क ने भारत में कार्तिकेय की पूजा को आरंभ किया और उसे विशेष बढ़ावा दिया.

कनिष्क भारतीय धर्मों के प्रति बहुत उदार थे. इनके समय में बनाये गए सिक्कों पर बुद्ध के साथ-साथ हिन्दू देवताओं की मूर्तियां तथा उनके नाम अंकित हैं.

गुर्जर जाति में भी कनिष्क को बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. इनको महान गुर्जर सम्राट मिहिरभोज के समकक्ष माना जाता है. मान्यता अनुसार गुर्जर जाति के कषाणा गोत्र से ही कुषाण वंश का उद्गम हुआ था.

राजा भोज

राज भोज परमार वंश के महान राजा थे.  भोज के साम्राज्य के अंतर्गत मालवा, कोंकण, खानदेश, भिलसा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़ एवं गोदावरी घाटी का कुछ भाग शामिल था. उन्होंने उज्जैन की जगह अपनी नई राजधानी धार को बनाया.

राज भोज के बारे में कहा जाता है कि उनका अधिकांश जीवन युद्ध लड़ने में निकल गया. वह जब तक रहे उन्होंने किसी प्रकार की बाधा अपने राज्य में नहीं आने दी.

वह एक प्रतिष्ठित राजा थे. कहा जाता है कि वर्तमान मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को राजा भोज ने ही बसाया था, तब उसका नाम भोजपाल नगर था. राजा भोज वीर योद्धा होने के साथ-साथ अच्छे कवि और दार्शनिक थे. उन्होंने कई विषयों के अनेक ग्रंथों का निर्माण किया था.

राजेंद्र चोल-प्रथम

राजेन्द्र प्रथम वंश के राजा थे. इनकी वीरता को इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने एक बार नहीं कई बार पश्चिमी चालुक्यों को युद्ध में पटखनी दी. इसके अलावा उन्होंने उस समय के शक्तिशाली पाल राजा महीपाल को भी पराजित किया. राजेन्द्र चोल ने अनेक जन-कल्याणकारी कार्य भी किये. उसके शासन काल में जनता सुखी और समृद्ध थी. श्रीरंगम्, मदुरा, कुंभकोणम्, रामेश्‍वरम आदि प्रसिद्ध स्थलों पर राजेन्द्र देव ने भव्य मंदिर बनवाये, जो आज भी स्थापत्य कला के अद्वितीय उदाहरण माने जाते हैं.

हर्षवर्धन

हर्षवर्धन को अंतिम हिंदू सम्राट् भी कहा जाता है. इन्होंने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था.  वह पंजाब को छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर कब्जा करने में कामयाब रहे. वह एक कुशल शासक थे, जिसकी प्रशंसा चीनी यात्री युवेन संग ने की है. वह सभी धर्मों के प्रति  उदार थे.

हर्षवर्धन को एक नाटककार के रुप में भी जाना जाता है. उन्होंने प्रियदर्शिका और रत्नावली नामक दो नाटक लिखे थे.

माना जाता है कि  हर्षवर्धन की मृत्‍यु के बाद भारत एक बार फिर केंद्रीय सर्वोच्‍च शक्ति से वंचित हो गया था.

ये थी भारत के ताकतवर हिंदू राजाओं से जुड़ी जानकारी.  निश्चित रूप से भारत ने कई अन्य महान राजाओं का शासन भी देखा है. सम्भव है कुछ और नाम इतिहास के पन्ने में छिपे होंगे या फिर जिन्हें हम देख नहीं पाए होंगे.

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