kahani – लड्डू गोपाल की मूर्ति

हर समय माला लेकर बैठे रहते हो । कुछ पैसे धेले का इंतजाम करो लड़की के लिए लड़का नहीं देखना । निर्मला ने रोज की तरह सुबह से ही बड़बड़ाना शुरु कर दिया।

ईश्वर पर विश्वास रखो , समय पर सब हो जाएगा । चौबे जी ने अपना गमछा संभालते हुए कहा ।

ईश्वर तो जैसे घर बैठे ही लड़का भेज देंगे। उनके पास तो कोई काम है नहीं सिर्फ आपका ध्यान रखने के अलावा ।

अरे क्यों पूरा दिन चकचक करती रहती हो ? चौबे जी कभी गुस्सा नहीं होते । वो तो बस पूरा दिन बस लड्डू गोपाल के बारे में ही सोचते हैं ।

जयपुर वाली मौसी बता रही थी , उनके रिश्तेदारी में एक लड़का है । अब देखकर तो जब आओगे , जब जेब में1000 , 2000 रुपए होंगे । जो दो चार रुपए बचते हैं , उन्हें अपने दोस्तों को उधार दे देते हो । आज तक लौटाए हैं किसी ने।

आज तक किसी चीज की कोई कमी हुई है । आगे भी नहीं होगी ईश्वर की कृपा से । तुम तो मुझे भजन भी नहीं करने देती ।

भजन ही करना था तो शादी क्यों की ? अब वो बैठे-बिठाए तुम्हारी लड़की की शादी भी कर जाएंगे।

हां रहने दो बस । लो थैला पकड़ो और जाओ सब्जी ले आओ ।और हां , जिस लडके के बारे में मैंने बात की है ।उसके बारे में जरा सोचना परसों जाना है तुम्हें ।अब थोड़े बहुत पैसों के लिए एफडी तो तुडवाओगे नहीं । जो यार दोस्तों को उधार दे रखे हैं उनसे जरा मांग लो।

थैला लेकर निकल तो गए लेकिन विचार यही है मन में ।पैसों का इंतजाम कैसे होगा ? सब्जी लेने से पहले जरा अपने दोस्त से अपने पैसों की बात कर ली जाए । जिस शोरूम में काम करता है , वो भी पास ही है ।

राकेश ने अपने मित्र को देखा तो गले लगा लिया । चौबे कैसे आना हुआ ?

कुछ ना भैया कुछ समस्या आन पड़ी है । पैसो की सख्त जरुरत है ? अपने ही पैसे चौबे जी ऐसे मांग रहे हैं , जैसे उधार मांग रहे हो ।
देखता हूं साहब से मांगता हूं ।6 दिन पहले ही विदेश से आए हैं । ऐसे 6 शोरूम है उनके पास । बात करके तुम्हें बता दूंगा ।

और बताओ ललिया ठीक है ? कैसा चल रहा है उसका योगा क्लास ?

बढ़िया चल रहा है सुबह 5:00 बजे जाती है ,पूरा 5000 कमाती है । चौबे जी ने बड़े गर्व से कहा

सर्वगुण संपन्न है हमारी लाली। कैबिन से बाहर निकले ही थे , एक जगह नज़र टिकी गई। इतनी सुंदर मूर्ति लड्डू गोपाल की । चौबे जी अपलक देख रहे थे जैसे अभी बात करने लगेगी। तभी राकेश ने ध्यान भंग करते हुए कहा ,” बडे साहब ने आर्डर पर बनवाई है । बाहर से बनकर आई है । ऐसी 3 बनवाई हैं ।”

रास्ते भर मूर्ति की छवि उनकी नजरों से ओझल नहीं हो रही थी । काश वो मूर्ति उनके पास होती ।भूल नहीं पा रहे हैं अगर उनके पास होती कैसे निहलाते , क्या क्या खिलाते ,घर कब आया पता ही नहीं चला ।लेकिन घर के सामने इतनी भीड़ क्यों है ? गाड़ी तो काफी महंगी लग रही है ? अपने घर के दरवाजे में घुसने ही वाले थे कि थैला हाथ से छीनकर निर्मला ने मुस्कुराकर उनका स्वागत किया ।

कौन आया है ? अंदर सूट बूट में एक आदमी बैठा है ।चौबे जी को देखते ही वो हाथ जोड़कर खड़ा हो गया ।

राधे राधे चौबे जी ने कहा । बैठिए । क्षमा कीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं ।

अरे आप कैसे पहचानेंगे ? हम पहली बार मिल रहे हैं । उसने बड़ी शालीनता के साथ जवाब दिया।
जी कहिए , मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं ?

दरअसल मैं आपसे कुछ मांगने आया हूं ।

सीधा-सीधा बताइए चौबे जी सोच में पडे थे जाने क्या मांग ले ? इतने बड़े आदमी को मुझसे क्या चाहिए ?

आज से चार दिन पहले मैं मॉर्निंग वॉक के लिए गया था ।लेकिन उस दिन मेरे साथ एक दुर्घटना हुई ।मुझे हार्टअटैक आ गया । आसपास कोई नहीं था मदद के लिए ।ना मैं कुछ बोल पा रहा था । तभी एक लड़की स्कूटी पर आती दिखी । मुझे सडक पर पड़े हुए देखकर उसने अपनी स्कूटी रोकी । अकेली वो मुझे उठा नहीं सकती थी । फिर अपनी स्कूटी से दूर की दुकान पर जाकर एक आदमी को बुलाकर लाई । उसकी मदद से उसने मुझे अपनी स्कूटी पर बिठाया और मुझे हॉस्पिटल लेकर गई । अगर थोड़ी सी भी देर हो जाती शायद मेरा अन्त निश्चित था ।और वो लड़की कोई और नहीं , आपकी बेटी थी ।

उस आदमी ने हाथ जोड़ते हुए कहा , अगर आप लायक समझे , तो मैं अपने बेटे के लिए आपकी बेटी का हाथ मांगता हूं ।जो अनजान की मदद कर सकती है । वो अपने परिवार का कितना ध्यान रखेगी ।”

चौबे जी एक दम जड़ हो गए । विश्वास नहीं कर पा रहे थे क्या यह सच में ये हो रहा है कि मुझे किसी के दरवाजे पर ना जाना पड़े । इस स्थिति से बाहर नहीं निकले थे कि तभी उन्होंने अपने पास रखे हुए बैग में से एक बड़ा सा बक्सा निकाला । इसमें वही मूर्ति थी , जिसे अभी शोरूम में देखकर आए थे । जो आंखो के सामने से ओझल नहीं। हो रही थी । जिसे देखते ही मन में ये ख्याल आया था कि काश मेरे मंदिर में होती । ऊपरवाले ने प्रमाणित कर दिया की मुझे उसका जितना ख्याल है उसे मेरा मुझसे ज्यादा है ।

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